ऑक्सफ़ोर्ड - दुनिया भर के महासागर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हम साँस के साथ जो ऑक्सीजन लेते हैं उसका 50% वही देते हैं, अरबों लोगों को भोजन देते हैं, और लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। वे पूरी दुनिया के वातावरण और तापमान के नियंत्रण के विराट जैविक पंप हैं, और पानी और पोषक पदार्थों के चक्र के वाहक हैं। और वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने वाले सबसे शक्तिशाली साधन हैं। संक्षेप में महासागर महत्वपूर्ण मित्र हैं और हमें इनकी रक्षा करने के लिए वह सब कुछ करना चाहिए जो हमारी सामर्थ्य में है।
आज हम जिन अभूतपूर्व और अप्रत्याशित चुनौतियों से जूझ रहे हैं, उन्हें देखते हुए यह और भी महत्वपूर्ण है। हालाँकि औद्योगिक क्रांति के समय से ग्रीनहाउस-गैसों के उत्सर्जनों का 30%, और कुल उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा का 90% अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को धीमा रखने में महासागरों की भूमिका अभिन्न रही है, लेकिन इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है। महासागरों के अम्लीकरण और उनके तापमान का बढ़ना जिस गति से हो रहा है वह चिंताजनक है, और उसका हमारे कुछ सबसे कीमती समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ रहा है – यह ऐसा प्रभाव है जो बढ़ता ही जाएगा।
आज दुनिया के विशाल घास के मैदानों में जिस चीज़ का अनुभव किया जा रहा है वह संभवतः अब तक का सबसे बड़ा अल नीनो प्रभाव होगा। समझा जाता है कि इस घटना से उत्पन्न होने वाला प्रतिकूल मौसमी प्रभाव – जो प्रशांत महासागर से शुरू होता है लेकिन दुनिया भर के सभी महासागरों को प्रभावित करता है – इस साल 60 मिलियन से अधिक लोगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा, जिससे पिछले साल हुई तबाही से कहीं अधिक तबाही होगी। यह इस बात की धीर-गंभीर चेतावनी है कि हमारी पृथ्वी की प्रणालियों को लगने वाले प्राकृतिक और मानव-निर्मित आघातों के प्रति हम कितने असुरक्षित हैं।
इस सबके बावजूद, हम प्राकृतिक वासों और जैवविविधता के अनवरत विनाश से अपने महासागरों का लगातार अपक्षय कर रहे हैं, जिसमें बहुत अधिक मात्रा में मछलियां पकड़ना और प्रदूषण का होना शामिल है। चिंताजनक रूप से हाल ही की रिपोर्टें यह संकेत करती हैं कि 2025 तक महासागरों में प्रति तीन किलोग्राम मछली पर एक किलोग्राम प्लास्टिक हो सकता है। इन कार्यों को वैश्विक शासन की पुरानी नाकामियों ने सुगम बनाया है; मसलन, महासागरों से पकड़ी जाने वाली कुल मछलियों का पांचवां हिस्सा गैर-कानूनी ढंग से पकड़ा जाता है।
व्यापक स्तर पर ग्रीनहाउस-गैसों के उत्सर्जनों को कम करके न केवल जलवायु परिवर्तन की समस्या को सुलझाने के लिए बल्कि हमारे महासागरों के स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। सौभाग्य से, 2015 में – जो वैश्विक प्रतिबद्धताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साल था – विश्व के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र की नई विकास कार्य-सूची में दुनिया भर के महासागरों के संरक्षण को महत्वपूर्ण घटक के रूप में निर्धारित किया जिनके साथ 17 तथाकथित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) जुड़े हैं।
विशेष रूप से, एसडीजी14 विश्व के नेताओं को अत्यधिक मछली पकड़ने को समाप्त करने, गैर-कानूनी ढंग से मछलियां पकड़ने को समाप्त करने, अधिक संरक्षित समुद्री क्षेत्रों की स्थापना करने, प्लास्टिक के कचरे और समुद्री प्रदूषण के अन्य स्रोतों को कम करने, और अम्लीकरण का मुकाबला करने के लिए सागर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध करता है। वैश्विक महासागर आयोग ने महासागरों की सुरक्षा करने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने के लिए मिले भारी समर्थन का जश्न मनाया जिसमें ग्लोबल ओशन कमीशन की 2014 की रिपोर्ट अपक्षय से स्वास्थ्य लाभ तकः दुनिया भर के महासागरों के लिए बचाव पैकेज में दिए गए प्रस्ताव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं।
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इस तरह अब दुनिया के पास सागरों के स्वास्थ्य-लाभ के लिए एक स्वीकृत रोडमैप है। लेकिन अभी यह तय होना बाकी है कि हमें कितनी दूर तक और कितनी तेजी से आगे बढ़ना है। और आगे का काम – प्रशंसनीय और महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताओं को स्थानीय, राष्ट्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर प्रभावी सहयोगात्मक कार्रवाई में रूपांतरित करना - बहुत बड़ा काम है।
वैश्विक महासागरीय शासन के कमजोर और विखंडित होने से यह चुनौती और भी बढ़ जाती है। अन्य सतत विकास लक्ष्यों के विपरीत - जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, या भूख से जुड़े - कोई ऐसी अकेली अंतर्राष्ट्रीय संस्था नहीं है जिसे ओशन एसडीजी को लागू करने के काम को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई हो। नतीजतन, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रगति पर निगरानी रखने और उसे मापने, और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कौन ज़िम्मेदार होगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि एसडीजी 14 बीच रास्ते मुंह के बल न गिर पड़े, फिज़ी और स्वीडन की सरकारों ने स्वीडन की सहायता से जून 2017 में फिजी में महासागरों और समुद्रों पर संयुक्त राष्ट्र का उच्च-स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया है। बाद में उनके सुझाव को 95 देशों ने सह-प्रायोजित किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में इसे निर्विरोध रूप से स्वीकार किया गया।
एसडीजी 14 के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में हो रही प्रगति की ओर ध्यान आकर्षित करके और कौन-कौन से परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सके हैं उन पर प्रकाश डालकर, यह सम्मेलन अति-आवश्यक “जवाबदेही आंदोलन” की शुरूआत करेगा। साथ ही, प्रासंगिक जोखिम धारकों को साथ जोड़कर यह सरकारों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच गहरे सहयोग को प्रेरित करेगा।
यह आगे के दिशा में आशाजनक पहल है जो उस जोरदार गति को प्रतिबिंबित करती है जो हाल के वर्षों में महासागरों की सुरक्षा के प्रयासों से प्राप्त हुई है। अब जबकि वैश्विक महासागर आयोग का काम स्वाभाविक निष्कर्ष पर आ पहुँचा है, तो इसके बहुत से भागीदार और समर्थक यह सुनिश्चित करते हुए इस गति को बनाए रखने के लिए कठिन परिश्रम से काम करेंगे कि स्वस्थ और लचीले महासागरों का निर्माण तब तक दुनिया भर की प्राथमिकता बना रहता है जब तक यह वैश्विक वास्तविकता नहीं बन जाता है। वैश्विक महासागर आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार एसडीजी 14 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक कार्यों पर निगरानी रखने, उनका मूल्यांकन करने और रिपोर्ट करने के लिए स्वतंत्र, पारदर्शी क्रियाविधि तैयार करने के साथ-साथ अब से लेकर 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के अतिरिक्त सम्मेलनों की सफलता की कुंजी होंगे।
वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों को ही समान रूप से स्वस्थ, और लोचदार महासागरों की जरूरत है और वे इसके हकदार हैं। हमारे महासागर जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनके बारे में जागरूकता और उन्हें हल करने की कटिबद्धता उत्साहजनक है। लेकिन यह तो शुरुआत मात्र है। हम उम्मीद करते हैं कि 2016 का साल ऐसा साल साबित होगा जिसमें दुनिया सागरों के पुनर्निर्माण के नए युग में प्रवेश करेगी।
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Will the China hawks in Donald Trump’s administration railroad him into a confrontation that transcends tariffs and embraces financial sanctions of the type the US and the European Union imposed on Russia? If they do, China's leaders will have to decide whether to decouple from the dollar-based international monetary system.
thinks the real choice facing Chinese leaders may be whether to challenge the dollar's hegemony head-on.
Financial markets and official economic indicators over the past few weeks give policymakers around the world plenty to contemplate. Was the recent spike in bond yields a sufficient warning to Donald Trump and his team, or will they still follow through with inflationary stimulus, tariff, and immigration policies?
wonders if recent market signals will keep the new administration’s radicalism in check.
ऑक्सफ़ोर्ड - दुनिया भर के महासागर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हम साँस के साथ जो ऑक्सीजन लेते हैं उसका 50% वही देते हैं, अरबों लोगों को भोजन देते हैं, और लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। वे पूरी दुनिया के वातावरण और तापमान के नियंत्रण के विराट जैविक पंप हैं, और पानी और पोषक पदार्थों के चक्र के वाहक हैं। और वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने वाले सबसे शक्तिशाली साधन हैं। संक्षेप में महासागर महत्वपूर्ण मित्र हैं और हमें इनकी रक्षा करने के लिए वह सब कुछ करना चाहिए जो हमारी सामर्थ्य में है।
आज हम जिन अभूतपूर्व और अप्रत्याशित चुनौतियों से जूझ रहे हैं, उन्हें देखते हुए यह और भी महत्वपूर्ण है। हालाँकि औद्योगिक क्रांति के समय से ग्रीनहाउस-गैसों के उत्सर्जनों का 30%, और कुल उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा का 90% अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को धीमा रखने में महासागरों की भूमिका अभिन्न रही है, लेकिन इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है। महासागरों के अम्लीकरण और उनके तापमान का बढ़ना जिस गति से हो रहा है वह चिंताजनक है, और उसका हमारे कुछ सबसे कीमती समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ रहा है – यह ऐसा प्रभाव है जो बढ़ता ही जाएगा।
आज दुनिया के विशाल घास के मैदानों में जिस चीज़ का अनुभव किया जा रहा है वह संभवतः अब तक का सबसे बड़ा अल नीनो प्रभाव होगा। समझा जाता है कि इस घटना से उत्पन्न होने वाला प्रतिकूल मौसमी प्रभाव – जो प्रशांत महासागर से शुरू होता है लेकिन दुनिया भर के सभी महासागरों को प्रभावित करता है – इस साल 60 मिलियन से अधिक लोगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा, जिससे पिछले साल हुई तबाही से कहीं अधिक तबाही होगी। यह इस बात की धीर-गंभीर चेतावनी है कि हमारी पृथ्वी की प्रणालियों को लगने वाले प्राकृतिक और मानव-निर्मित आघातों के प्रति हम कितने असुरक्षित हैं।
इस सबके बावजूद, हम प्राकृतिक वासों और जैवविविधता के अनवरत विनाश से अपने महासागरों का लगातार अपक्षय कर रहे हैं, जिसमें बहुत अधिक मात्रा में मछलियां पकड़ना और प्रदूषण का होना शामिल है। चिंताजनक रूप से हाल ही की रिपोर्टें यह संकेत करती हैं कि 2025 तक महासागरों में प्रति तीन किलोग्राम मछली पर एक किलोग्राम प्लास्टिक हो सकता है। इन कार्यों को वैश्विक शासन की पुरानी नाकामियों ने सुगम बनाया है; मसलन, महासागरों से पकड़ी जाने वाली कुल मछलियों का पांचवां हिस्सा गैर-कानूनी ढंग से पकड़ा जाता है।
व्यापक स्तर पर ग्रीनहाउस-गैसों के उत्सर्जनों को कम करके न केवल जलवायु परिवर्तन की समस्या को सुलझाने के लिए बल्कि हमारे महासागरों के स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। सौभाग्य से, 2015 में – जो वैश्विक प्रतिबद्धताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साल था – विश्व के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र की नई विकास कार्य-सूची में दुनिया भर के महासागरों के संरक्षण को महत्वपूर्ण घटक के रूप में निर्धारित किया जिनके साथ 17 तथाकथित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) जुड़े हैं।
विशेष रूप से, एसडीजी14 विश्व के नेताओं को अत्यधिक मछली पकड़ने को समाप्त करने, गैर-कानूनी ढंग से मछलियां पकड़ने को समाप्त करने, अधिक संरक्षित समुद्री क्षेत्रों की स्थापना करने, प्लास्टिक के कचरे और समुद्री प्रदूषण के अन्य स्रोतों को कम करने, और अम्लीकरण का मुकाबला करने के लिए सागर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध करता है। वैश्विक महासागर आयोग ने महासागरों की सुरक्षा करने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने के लिए मिले भारी समर्थन का जश्न मनाया जिसमें ग्लोबल ओशन कमीशन की 2014 की रिपोर्ट अपक्षय से स्वास्थ्य लाभ तकः दुनिया भर के महासागरों के लिए बचाव पैकेज में दिए गए प्रस्ताव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं।
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वैश्विक महासागरीय शासन के कमजोर और विखंडित होने से यह चुनौती और भी बढ़ जाती है। अन्य सतत विकास लक्ष्यों के विपरीत - जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, या भूख से जुड़े - कोई ऐसी अकेली अंतर्राष्ट्रीय संस्था नहीं है जिसे ओशन एसडीजी को लागू करने के काम को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई हो। नतीजतन, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रगति पर निगरानी रखने और उसे मापने, और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कौन ज़िम्मेदार होगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि एसडीजी 14 बीच रास्ते मुंह के बल न गिर पड़े, फिज़ी और स्वीडन की सरकारों ने स्वीडन की सहायता से जून 2017 में फिजी में महासागरों और समुद्रों पर संयुक्त राष्ट्र का उच्च-स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया है। बाद में उनके सुझाव को 95 देशों ने सह-प्रायोजित किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में इसे निर्विरोध रूप से स्वीकार किया गया।
एसडीजी 14 के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में हो रही प्रगति की ओर ध्यान आकर्षित करके और कौन-कौन से परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सके हैं उन पर प्रकाश डालकर, यह सम्मेलन अति-आवश्यक “जवाबदेही आंदोलन” की शुरूआत करेगा। साथ ही, प्रासंगिक जोखिम धारकों को साथ जोड़कर यह सरकारों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच गहरे सहयोग को प्रेरित करेगा।
यह आगे के दिशा में आशाजनक पहल है जो उस जोरदार गति को प्रतिबिंबित करती है जो हाल के वर्षों में महासागरों की सुरक्षा के प्रयासों से प्राप्त हुई है। अब जबकि वैश्विक महासागर आयोग का काम स्वाभाविक निष्कर्ष पर आ पहुँचा है, तो इसके बहुत से भागीदार और समर्थक यह सुनिश्चित करते हुए इस गति को बनाए रखने के लिए कठिन परिश्रम से काम करेंगे कि स्वस्थ और लचीले महासागरों का निर्माण तब तक दुनिया भर की प्राथमिकता बना रहता है जब तक यह वैश्विक वास्तविकता नहीं बन जाता है। वैश्विक महासागर आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार एसडीजी 14 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक कार्यों पर निगरानी रखने, उनका मूल्यांकन करने और रिपोर्ट करने के लिए स्वतंत्र, पारदर्शी क्रियाविधि तैयार करने के साथ-साथ अब से लेकर 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के अतिरिक्त सम्मेलनों की सफलता की कुंजी होंगे।
वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों को ही समान रूप से स्वस्थ, और लोचदार महासागरों की जरूरत है और वे इसके हकदार हैं। हमारे महासागर जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनके बारे में जागरूकता और उन्हें हल करने की कटिबद्धता उत्साहजनक है। लेकिन यह तो शुरुआत मात्र है। हम उम्मीद करते हैं कि 2016 का साल ऐसा साल साबित होगा जिसमें दुनिया सागरों के पुनर्निर्माण के नए युग में प्रवेश करेगी।