सिंगापुर – यूरोप के नीति-निर्माता वायु प्रदूषण पर बाकी की दुनिया को व्याख्यान देना पसंद करते हैं। आलोचना के लिए एशिया और विशेष रूप से चीन, उनका पसंदीदा लक्ष्य होता है। वास्तव में, कभी-कभी ऐसा लगता है कि मानो यूरोप के नीति निर्माताओं द्वारा अपने महाद्वीप की उन "सर्वोत्तम प्रथाओं" पर प्रस्तुति के बिना पर्यावरण का कोई भी प्रमुख सम्मेलन पूरा नहीं हो सकता है जिनका दुनिया के बाकी देशों को अनुकरण करना चाहिए। तथापि, जब वायु प्रदूषण की बात हो रही हो तो यूरोप को चाहिए कि वह बोलने पर कम और सुनने पर अधिक ध्यान दे।
वायु प्रदूषण यूरोप भर में बढ़ती हुई चिंता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महाद्वीप का "एकमात्र सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम" बताया है और यह अनुमान लगाया है कि यूरोप के 90% नागरिक बाहर के प्रदूषण के संपर्क में हैं जो डब्ल्यूएचओ के वायु-गुणवत्ता के दिशानिर्देशों से अधिक हैं। 2010 में, लगभग 6,00,000 यूरोपीय नागरिकों की बाहरी और घर के अंदर के वायु प्रदूषण के कारण अकाल मृत्यु हुई थी, और इसकी आर्थिक लागत, $1.6 ट्रिलियन होने का अनुमान लगाया गया है जो यूरोपीय संघ के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 9% है।
लंदन और पेरिस विशेष रूप से गंभीर वायु गुणवत्ता की समस्याओं से ग्रस्त हैं। लंदन के कुछ भागों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर नियमित रूप से अनुशंसित सीमा के 2-3 गुना तक पहुंच जाता है। यूनाइटेड किंगडम में, वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 29,000 लोगों की मृत्यु होती है, समय पूर्व मृत्यु के कारणों में धूम्रपान के बाद इसका दूसरा स्थान है । पेरिस की स्थिति शायद इससे भी बदतर है; मार्च में, जब वायु प्रदूषण के स्तर शंघाई के स्तरों से भी अधिक हो गए थे, तो इस शहर ने वाहनों के चलाने पर आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था और मुफ्त सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू कर दी थी।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एशिया में वायु प्रदूषण के स्तर सचमुच चिंता का विषय हैं। येल विश्वविद्यालय की 2014 की वायु गुणवत्ता रैंकिंग के अनुसार, यह महाद्वीप दुनिया के दस सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। नई दिल्ली को पृथ्वी पर सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया गया है जिसमें वायु प्रदूषण सुरक्षित स्तरों से 60 के गुणजों में अधिक है। बीजिंग की अस्वस्थ हवा के कारण, विदेशी कंपनियां वहां काम करनेवाले कर्मचारियों को 30% तक के “असुविधा बोनस” का भुगतान करती हैं।
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लेकिन एशिया में नीति-निर्माताओं ने कम-से-कम इस समस्या को मान लिया है और इसका समाधान करने के लिए कदम उठा रहे हैं। उदाहरण के लिए, चीन ने “प्रदूषण के खिलाफ युद्ध” घोषित किया है। 2017 तक, बीजिंग – जिसे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा कभी "ग्रेजिंग" नाम दिया गया था – वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लगभग CN¥760 बिलियन ($121बिलियन) खर्च करेगा।
चीन के उपायों के मूल में बेहतर सार्वजनिक परिवहन, हरित व्यापार, और मिश्रित ऊर्जा का संशोधन हैं। सरकार ने शहरी केंद्रों में हर 500 मीटर की दूरी पर बस स्टॉप बनाने, पर्यावरण की 54 वस्तुओं की सूची के लिए, शुल्कों को 5% या उससे कम तक कम करने, और कई पुराने और अक्षम कोयला संयंत्रों को बंद करने का निर्णय किया है। प्राथमिक ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़कर 20% होने की संभावना है। शीर्ष तंत्र से मजबूत राजनीतिक समर्थन मिलने पर इन लक्ष्यों को कड़ाई से लागू किए जाने की संभावना है।
इस बीच, भारत में, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में राज्य सरकारें दुनिया की पहली कणीय पदार्थों के लिए सीमा-निर्धारण और व्यापार की योजनाएं आरंभ करने वाली हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय ने तो नई दिल्ली में निजी स्वामित्व वाले डीज़ल वाहनों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने तक का भी सुझाव दिया है।
एशिया के अन्य भागों में भी वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। वियतनाम आने वाले वर्षों में आठ शहरी रेल लाइनों का निर्माण करने पर विचार कर रहा है। बैंकाक ने, जो 1990 के दशक के बाद से वायु प्रदूषण से निपटने का प्रयास करता आ रहा है, 400,000 पेड़ लगाए हैं। और जापान हाइड्रोजन कारों के लिए सब्सिडी दे रहा है और ऐसे नए क्षेत्र बना रहा है जो केवल पैदल चलनेवालों के लिए हैं।
यूरोप को, जो दुनिया के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के प्रयास के मामले में सबसे आगे होना चाहिए। तथापि, जब वायु प्रदूषण की बात हो तो यूरोप के नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे दूसरों को उपदेश देना बंद करके स्वयं अपनी समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करें।
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At the end of a year of domestic and international upheaval, Project Syndicate commentators share their favorite books from the past 12 months. Covering a wide array of genres and disciplines, this year’s picks provide fresh perspectives on the defining challenges of our time and how to confront them.
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सिंगापुर – यूरोप के नीति-निर्माता वायु प्रदूषण पर बाकी की दुनिया को व्याख्यान देना पसंद करते हैं। आलोचना के लिए एशिया और विशेष रूप से चीन, उनका पसंदीदा लक्ष्य होता है। वास्तव में, कभी-कभी ऐसा लगता है कि मानो यूरोप के नीति निर्माताओं द्वारा अपने महाद्वीप की उन "सर्वोत्तम प्रथाओं" पर प्रस्तुति के बिना पर्यावरण का कोई भी प्रमुख सम्मेलन पूरा नहीं हो सकता है जिनका दुनिया के बाकी देशों को अनुकरण करना चाहिए। तथापि, जब वायु प्रदूषण की बात हो रही हो तो यूरोप को चाहिए कि वह बोलने पर कम और सुनने पर अधिक ध्यान दे।
वायु प्रदूषण यूरोप भर में बढ़ती हुई चिंता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महाद्वीप का "एकमात्र सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम" बताया है और यह अनुमान लगाया है कि यूरोप के 90% नागरिक बाहर के प्रदूषण के संपर्क में हैं जो डब्ल्यूएचओ के वायु-गुणवत्ता के दिशानिर्देशों से अधिक हैं। 2010 में, लगभग 6,00,000 यूरोपीय नागरिकों की बाहरी और घर के अंदर के वायु प्रदूषण के कारण अकाल मृत्यु हुई थी, और इसकी आर्थिक लागत, $1.6 ट्रिलियन होने का अनुमान लगाया गया है जो यूरोपीय संघ के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 9% है।
लंदन और पेरिस विशेष रूप से गंभीर वायु गुणवत्ता की समस्याओं से ग्रस्त हैं। लंदन के कुछ भागों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर नियमित रूप से अनुशंसित सीमा के 2-3 गुना तक पहुंच जाता है। यूनाइटेड किंगडम में, वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 29,000 लोगों की मृत्यु होती है, समय पूर्व मृत्यु के कारणों में धूम्रपान के बाद इसका दूसरा स्थान है । पेरिस की स्थिति शायद इससे भी बदतर है; मार्च में, जब वायु प्रदूषण के स्तर शंघाई के स्तरों से भी अधिक हो गए थे, तो इस शहर ने वाहनों के चलाने पर आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था और मुफ्त सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू कर दी थी।
अफसोस की बात है कि यूरोप के नीति-निर्माता इस चुनौती के लिए तैयार नहीं लगते। ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर जॉर्ज ओसबोर्न ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ब्रिटिश नेतृत्व के खिलाफ तर्क दिया है। उन्होंने 2011 में घोषणा की थी कि “हम अपनी स्टील मिलों, एल्यूमीनियम अयस्क, और कागज निर्माताओं को बंद करके भी इस धरती को नहीं बचा पाएंगे।
ओसबोर्न अकेले नहीं हैं। यूरोपीय नेता जब यह तर्क देते हैं कि पर्यावरण सुरक्षा उपायों को शुरू करने से यूरोपीय संघ की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को हानि पहुँचेगी, तब इसमें थोड़ा भी आश्चर्य नहीं होता है कि वायु प्रदूषण को सीमित करने के उनके उपाय निर्धारित सीमा से काफी कम हैं। कोयला संयंत्रों के विषाक्त उत्सर्जनों को विनियमित करने के लिए यूरोपीय संघ के प्रस्तावित मानक चीन की कोयला संयंत्रों के विषाक्त उत्सर्जनों को नियंत्रित करने के लिए यूरोपीय संघ के प्रस्तावित मानक चीन की ग्रीनपीस रिपोर्टों की तुलना में बहुत कम कठोर हैं। इसके बावजूद, विभिन्न यूरोपीय राजनेताओं ने इन्हें और भी कम कठोर करने के लिए कहा है, हंगरी ने तो यहां तक सुझाव दिया है कि इन्हें बिल्कुल समाप्त कर देना चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एशिया में वायु प्रदूषण के स्तर सचमुच चिंता का विषय हैं। येल विश्वविद्यालय की 2014 की वायु गुणवत्ता रैंकिंग के अनुसार, यह महाद्वीप दुनिया के दस सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। नई दिल्ली को पृथ्वी पर सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया गया है जिसमें वायु प्रदूषण सुरक्षित स्तरों से 60 के गुणजों में अधिक है। बीजिंग की अस्वस्थ हवा के कारण, विदेशी कंपनियां वहां काम करनेवाले कर्मचारियों को 30% तक के “असुविधा बोनस” का भुगतान करती हैं।
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चीन के उपायों के मूल में बेहतर सार्वजनिक परिवहन, हरित व्यापार, और मिश्रित ऊर्जा का संशोधन हैं। सरकार ने शहरी केंद्रों में हर 500 मीटर की दूरी पर बस स्टॉप बनाने, पर्यावरण की 54 वस्तुओं की सूची के लिए, शुल्कों को 5% या उससे कम तक कम करने, और कई पुराने और अक्षम कोयला संयंत्रों को बंद करने का निर्णय किया है। प्राथमिक ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़कर 20% होने की संभावना है। शीर्ष तंत्र से मजबूत राजनीतिक समर्थन मिलने पर इन लक्ष्यों को कड़ाई से लागू किए जाने की संभावना है।
इस बीच, भारत में, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में राज्य सरकारें दुनिया की पहली कणीय पदार्थों के लिए सीमा-निर्धारण और व्यापार की योजनाएं आरंभ करने वाली हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय ने तो नई दिल्ली में निजी स्वामित्व वाले डीज़ल वाहनों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने तक का भी सुझाव दिया है।
एशिया के अन्य भागों में भी वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। वियतनाम आने वाले वर्षों में आठ शहरी रेल लाइनों का निर्माण करने पर विचार कर रहा है। बैंकाक ने, जो 1990 के दशक के बाद से वायु प्रदूषण से निपटने का प्रयास करता आ रहा है, 400,000 पेड़ लगाए हैं। और जापान हाइड्रोजन कारों के लिए सब्सिडी दे रहा है और ऐसे नए क्षेत्र बना रहा है जो केवल पैदल चलनेवालों के लिए हैं।
यूरोप को, जो दुनिया के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के प्रयास के मामले में सबसे आगे होना चाहिए। तथापि, जब वायु प्रदूषण की बात हो तो यूरोप के नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे दूसरों को उपदेश देना बंद करके स्वयं अपनी समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करें।