न्यूयॉर्क - जहां दुनिया भर के नेता अगले सप्ताह सतत विकास के नए लक्ष्यों का अनुमोदन करने और संयुक्त राष्ट्र की सत्तरवीं वर्षगांठ मनाने के लिए न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में जमा होने वाले हैं, वहीं बहुत से लोगों के मन में एक ऐसा मौलिक सवाल है जिससे बचा नहीं जा सकता। बढ़ती वैश्विक अव्यवस्था - मध्यपूर्व में उपद्रव, यूरोप में लहरों पर सवार होकर आनेवाले प्रवासियों की भीड़, और अपने भौगोलिक दावों को लागू करने की चीन की एकतरफ़ा मुहिम सहित - के मद्देनज़र क्या संयुक्त राष्ट्र का कोई भविष्य है?
न्यूयॉर्क - जहां दुनिया भर के नेता अगले सप्ताह सतत विकास के नए लक्ष्यों का अनुमोदन करने और संयुक्त राष्ट्र की सत्तरवीं वर्षगांठ मनाने के लिए न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में जमा होने वाले हैं, वहीं बहुत से लोगों के मन में एक ऐसा मौलिक सवाल है जिससे बचा नहीं जा सकता। बढ़ती वैश्विक अव्यवस्था - मध्यपूर्व में उपद्रव, यूरोप में लहरों पर सवार होकर आनेवाले प्रवासियों की भीड़, और अपने भौगोलिक दावों को लागू करने की चीन की एकतरफ़ा मुहिम सहित - के मद्देनज़र क्या संयुक्त राष्ट्र का कोई भविष्य है?