समावेशी अनिवार्यता

वाशिंगटन, डी सी – सन् 2000 में शुरू किए गए सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अत्यधिक प्रगति हुई है. किन्तु, दुर्भाग्यवश अनेक देश इन लक्ष्यों को पूरा करने से कोसों दूर हैं. और उन देशों में भी जहां काफी प्रगति की गई है, कुछ समूह, यथा मूल निवासी, झुग्गी बस्तियों या दूर-दराज इलाकों के निवासी, धार्मिक व लैंगिक अल्पसंख्यक समुदाय तथा विकलांगता से ग्रस्त लोग, निरंतर इस प्रगति के दायरे से बाहर ही रहे हैं. जैसाकि विश्‍व बैंक की हालिया रिपोर्ट में बल दिया गया है, यह समझना कि क्यों ऐसा हुआ, भविष्य के विकास प्रयासों को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए अहम है.

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