प्रिंसटन - तथाकथित "फ़्रंटियर बाज़ार की अर्थव्यवस्थाएँ" निवेश के हलकों में नवीनतम सनक हो गई हैं। हालाँकि, इन कम आय वाले देशों – एशिया में बांग्लादेश और वियतनाम, लातिन अमेरिका में होंडुरास और बोलीविया, और अफ़्रीका में केन्या और घाना सहित – में छोटे, अविकसित वित्तीय बाज़ार हैं, लेकिन वे तेज़ी से बढ़ रहे हैं और उम्मीद की जाती है कि वे भविष्य में उभरती अर्थव्यवस्थाएँ बन जाएँगे। पिछले चार सालों में, फ़्रंटियर अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले निजी पूँजी के प्रवाह उभरते बाज़ारों की अर्थव्यवस्थाओं में आनेवाले प्रवाहों की तुलना में लगभग 50% ज़्यादा (सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष) रहे हैं। इस पर ख़ुश होना चाहिए या खेद करना चाहिए, यह ऐसा सवाल है जो आर्थिक विश्लेषकों और नीति निर्माताओं के लिए रॉर्सचाक परीक्षण की तरह हो गया है।
प्रिंसटन - तथाकथित "फ़्रंटियर बाज़ार की अर्थव्यवस्थाएँ" निवेश के हलकों में नवीनतम सनक हो गई हैं। हालाँकि, इन कम आय वाले देशों – एशिया में बांग्लादेश और वियतनाम, लातिन अमेरिका में होंडुरास और बोलीविया, और अफ़्रीका में केन्या और घाना सहित – में छोटे, अविकसित वित्तीय बाज़ार हैं, लेकिन वे तेज़ी से बढ़ रहे हैं और उम्मीद की जाती है कि वे भविष्य में उभरती अर्थव्यवस्थाएँ बन जाएँगे। पिछले चार सालों में, फ़्रंटियर अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले निजी पूँजी के प्रवाह उभरते बाज़ारों की अर्थव्यवस्थाओं में आनेवाले प्रवाहों की तुलना में लगभग 50% ज़्यादा (सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष) रहे हैं। इस पर ख़ुश होना चाहिए या खेद करना चाहिए, यह ऐसा सवाल है जो आर्थिक विश्लेषकों और नीति निर्माताओं के लिए रॉर्सचाक परीक्षण की तरह हो गया है।