ऑक्सफ़ोर्ड – लगभग 300 स्वास्थ्य कर्मियों को त्रिनिदाद और टोबैगो भेजने की युगांडा की योजना के बारे में सचमुच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस योजना में कथित तौर पर युगांडा के 11 पंजीकृत मनोचिकित्सकों में से चार मनोचिकित्सक, 28 रेडियोलॉजिस्टों में से 20 रेडियोलॉजिस्ट, और 92 बाल-रोग विशेषज्ञों में से 15 बाल-रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके बदले में, कैरेबियन देश (जिसमें चिकित्सक-रोगी अनुपात युगांडा की तुलना में 12 गुना अधिक है) युगांडा को हाल ही में पता लगाए गए अपने तेल क्षेत्रों का दोहन करने में मदद करेगा।
युगांडा के विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह समझौता कौशल और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के माध्यम से विदेशों में देश के हितों को बढ़ावा देने के इसके जनादेश का हिस्सा है, और साथ ही अपने नागरिकों के लिए रोज़गार प्राप्त करके विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक अवसर भी है। लेकिन युगांडा के अंतर्राष्ट्रीय दाता इससे आश्वस्त नहीं हैं; संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस पर घोर चिंता व्यक्त की है, और बेल्जियम ने युगांडा के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को विकास सहायता देना बंद कर दिया है।
मेरे दो दोस्तों ने विदेश जाने के लिए आवेदन किया है, इनमें से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ है और दूसरा बाल रोग विशेषज्ञ। अगर मैं अभी भी युगांडा में उनके साथ काम कर रहा होता, तो मैं भी इस पलायन में शामिल होने के लिए लालायित होता। युगांडा के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर प्रतिभाशाली और उच्च योग्यताप्राप्त हैं। लेकिन उन्हें अक्सर भारी व्यक्तिगत त्याग करके भयावह स्थितियों में काम करना पड़ता है। तो इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वे हतोत्साहित हो जाते हैं और कहीं और व्यावसायिक अवसरों की तलाश में रहते हैं। वे जानते हैं कि यथास्थिति अब खत्म होती जा रही है, और कोई बदलाव होना ज़रूरी है।
मुझे भी यह मालूम था। 2009 में, जब मैं युगांडा में मुलागो नेशनल रेफरल अस्पताल में काम कर रहा था, तो मैं देश की इस मुख्य तृतीयक संस्था का मात्र छठा न्यूरोसर्जन बनने वाला था। हमें कभी-कभी उस हालत में बड़े आपरेशनों को रद्द करना पड़ जाता था जब हमारे थियेटर में खराब सीवेज सिस्टम के कारण गंदगी फैल जाती थी जबकि यहाँ के वातावरण का स्वच्छ बने रहना ज़रूरी था। हमारे यहाँ स्टाफ़ की बहुत अधिक कमी थी। एक बार, लगातार कई रात पालियाँ करने के दौरान मैं इतना थक गया था कि किसी एचआईवी पॉज़िटिव रोगी का रक्त लेते समय, मैंने गलती से अपने आप को सुई चुभो ली थी। एक महीने के लिए मेरा पोस्ट-एक्सपोज़र (पीईपी) नामक एंटीरेट्रोवायरल उपचार किया गया और दवा के दुष्प्रभावों के कारण मुझे काम से अवकाश लेना पड़ गया था। इस बीच, मेरी पीड़ा को और बढ़ाते हुए, सरकार ने हमारे वेतन के भुगतान में देरी कर दी थी - और यह पहली बार नहीं हुआ था।
युगांडा और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच हुए समझौते से विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य कार्मिकों की अंतर्राष्ट्रीय भर्ती के वैश्विक कोड का उल्लंघन होता है, जिसका उद्देश्य उन देशों से कर्मियों की भर्ती करने को हतोत्साहित करना है जिनमें स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की भारी कमी है। युगांडा के थिंक टैंक, सार्वजनिक नीति अनुसंधान संस्थान, ने इस योजना को "राज्य स्वीकृत प्रतिभा पलायन" कहा है। यह सरकार को अपने निर्णय को वापस लेने के लिए मजबूर करने के प्रयास में अदालत में ले गई है।
लेकिन सच्चाई यह है कि शायद युगांडा अनजाने में एक नवोन्मेषी नीति पर पहुँच गया है। यदि इस योजना पर ठीक से अमल किया जाता है, तो इससे स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र और देश दोनों को इस रूप में लाभ हो सकता है कि अतिरिक्त धन जुटाया जा सकेगा, चिकित्सा कर्मियों के कौशल और प्रेरणा को बल मिलेगा, और प्रवासियों के साथ आदान-प्रदान के लिए एक मॉडल तैयार होगा। जिन अन्य विकासशील देशों को स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को बनाए रखने के संबंध में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे युगांडा के अनुभव से सीख सकते हैं।
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बेशक, इस प्रकार की बड़े पैमाने पर भर्ती से विकासशील देशों की स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन इस बात को भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को बिगड़ती हुई प्रणाली में जकड़े रखने में समझदारी नहीं है। कोई ऐसा तरीका होना चाहिए जिससे चिकित्सकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जा सके कि वे अपने देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में योगदान करें जिसमें उन्हें अपने निजी और पेशेवर लक्ष्यों को प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान किया जाए।
इसे कारगर बनाने के लिए, प्राप्तकर्ता देश को स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की भर्ती को पूरी तरह से सरकार के माध्यम से करने के लिए सहमत होना पड़ेगा। फिर वह देश अपने कर्मियों की विदेशी आय पर कर लगा सकेगा और प्राप्त होनेवाले राजस्व का उपयोग अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को विकसित करने के लिए कर सकेगा।
इसके अलावा, किसी भी समझौते में भर्ती किए गए स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए शिक्षा और व्यावसायिक विकास के अवसर उपलब्ध करने के बारे में स्पष्ट रूप से प्रावधान होना चाहिए। प्राप्तकर्ता देश अपने मेडिकल स्कूल खोल सकते हैं और नए भर्ती होनेवालों को स्वास्थ्य देखभाल प्रशिक्षण दे सकते हैं, या वे वापस अपने देश में स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा और छात्रवृत्ति कोष में भुगतान करने में मदद कर सकते हैं। इस तरह, युगांडा जैसे विकासशील देश न केवल अधिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को प्रशिक्षित किया कर सकेंगे, बल्कि उनके पास इतनी निधियाँ भी उपलब्ध होंगी कि वे कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए विदेशों में भेज सकेंगे।
इस तरह के कार्यक्रमों का प्रभाव दूरगामी हो सकता है, क्योंकि चिकित्सा पेशेवरों की कमी केवल उप-सहारा अफ्रीका तक ही सीमित नहीं है। इतने सारे योग्य डॉक्टरों के यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में प्रवास करने के फलस्वरूप, विकसित देशों सहित, शेष विश्व को भी जबरदस्त चिकित्सा प्रतिभा पलायन का सामना करना पड़ रहा है। लगभग 35,000 यूनानी चिकित्सक जर्मनी में प्रवास कर गए हैं, जबकि बुल्गारिया से “चिकित्सकों का पलायन जारी है,” और इसे हर वर्ष 600 चिकित्सकों से हाथ धोना पड़ रहा है (यह संख्या देश के मेडिकल स्कूल के स्नातकों की वार्षिक संख्या के बराबर है)।
लेकिन विकासशील देशों को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। अस्सी प्रतिशत देश जिनमें कुशल स्वास्थ्य कर्मियों का घनत्व प्रति 10,000 व्यक्ति 22.8 से कम है, अफ्रीका में हैं, और अन्य 13% दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं। इस तरह की कमियों के प्रभाव हाल ही में पश्चिम अफ्रीका में आए ईबोला संकट के दौरान स्पष्ट हो गए थे।
समस्या यह है कि युगांडा और अन्य देशों में तथाकथित प्रतिभा पलायन स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की इस कमी का कारण नहीं है। यह उन स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का लक्षण मात्र है जो पहले से ही संकट में हैं। अंतिम समाधान पेशेवरों को विदेशों में काम करने से हतोत्साहित करना नहीं है; बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिलता है और काम करने की अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध होती हैं। इस तरीके से, हम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर हाथ में लिए गए काम, अपने लोगों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने, पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
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Bashar al-Assad’s fall from power has created an opportunity for the political and economic reconstruction of a key Arab state. But the record of efforts to stabilize post-conflict societies in the Middle East is littered with failure, and the next few months will most likely determine Syria's political trajectory.
say that Syrians themselves must do the hard work, but multilateral assistance has an important role to play.
The US president-elect has vowed to round up illegal immigrants and raise tariffs, but he will probably fail to reinvigorate the economy for the masses, who will watch the rich get richer on crypto and AI. America has been here before, and if Trump doesn’t turn on the business class and lay the blame at its feet, someone else will.
thinks the next president will be forced to choose between big business and the forgotten man.
ऑक्सफ़ोर्ड – लगभग 300 स्वास्थ्य कर्मियों को त्रिनिदाद और टोबैगो भेजने की युगांडा की योजना के बारे में सचमुच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस योजना में कथित तौर पर युगांडा के 11 पंजीकृत मनोचिकित्सकों में से चार मनोचिकित्सक, 28 रेडियोलॉजिस्टों में से 20 रेडियोलॉजिस्ट, और 92 बाल-रोग विशेषज्ञों में से 15 बाल-रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके बदले में, कैरेबियन देश (जिसमें चिकित्सक-रोगी अनुपात युगांडा की तुलना में 12 गुना अधिक है) युगांडा को हाल ही में पता लगाए गए अपने तेल क्षेत्रों का दोहन करने में मदद करेगा।
युगांडा के विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह समझौता कौशल और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के माध्यम से विदेशों में देश के हितों को बढ़ावा देने के इसके जनादेश का हिस्सा है, और साथ ही अपने नागरिकों के लिए रोज़गार प्राप्त करके विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक अवसर भी है। लेकिन युगांडा के अंतर्राष्ट्रीय दाता इससे आश्वस्त नहीं हैं; संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस पर घोर चिंता व्यक्त की है, और बेल्जियम ने युगांडा के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को विकास सहायता देना बंद कर दिया है।
मेरे दो दोस्तों ने विदेश जाने के लिए आवेदन किया है, इनमें से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ है और दूसरा बाल रोग विशेषज्ञ। अगर मैं अभी भी युगांडा में उनके साथ काम कर रहा होता, तो मैं भी इस पलायन में शामिल होने के लिए लालायित होता। युगांडा के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर प्रतिभाशाली और उच्च योग्यताप्राप्त हैं। लेकिन उन्हें अक्सर भारी व्यक्तिगत त्याग करके भयावह स्थितियों में काम करना पड़ता है। तो इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वे हतोत्साहित हो जाते हैं और कहीं और व्यावसायिक अवसरों की तलाश में रहते हैं। वे जानते हैं कि यथास्थिति अब खत्म होती जा रही है, और कोई बदलाव होना ज़रूरी है।
मुझे भी यह मालूम था। 2009 में, जब मैं युगांडा में मुलागो नेशनल रेफरल अस्पताल में काम कर रहा था, तो मैं देश की इस मुख्य तृतीयक संस्था का मात्र छठा न्यूरोसर्जन बनने वाला था। हमें कभी-कभी उस हालत में बड़े आपरेशनों को रद्द करना पड़ जाता था जब हमारे थियेटर में खराब सीवेज सिस्टम के कारण गंदगी फैल जाती थी जबकि यहाँ के वातावरण का स्वच्छ बने रहना ज़रूरी था। हमारे यहाँ स्टाफ़ की बहुत अधिक कमी थी। एक बार, लगातार कई रात पालियाँ करने के दौरान मैं इतना थक गया था कि किसी एचआईवी पॉज़िटिव रोगी का रक्त लेते समय, मैंने गलती से अपने आप को सुई चुभो ली थी। एक महीने के लिए मेरा पोस्ट-एक्सपोज़र (पीईपी) नामक एंटीरेट्रोवायरल उपचार किया गया और दवा के दुष्प्रभावों के कारण मुझे काम से अवकाश लेना पड़ गया था। इस बीच, मेरी पीड़ा को और बढ़ाते हुए, सरकार ने हमारे वेतन के भुगतान में देरी कर दी थी - और यह पहली बार नहीं हुआ था।
युगांडा और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच हुए समझौते से विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य कार्मिकों की अंतर्राष्ट्रीय भर्ती के वैश्विक कोड का उल्लंघन होता है, जिसका उद्देश्य उन देशों से कर्मियों की भर्ती करने को हतोत्साहित करना है जिनमें स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की भारी कमी है। युगांडा के थिंक टैंक, सार्वजनिक नीति अनुसंधान संस्थान, ने इस योजना को "राज्य स्वीकृत प्रतिभा पलायन" कहा है। यह सरकार को अपने निर्णय को वापस लेने के लिए मजबूर करने के प्रयास में अदालत में ले गई है।
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इसके अलावा, किसी भी समझौते में भर्ती किए गए स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए शिक्षा और व्यावसायिक विकास के अवसर उपलब्ध करने के बारे में स्पष्ट रूप से प्रावधान होना चाहिए। प्राप्तकर्ता देश अपने मेडिकल स्कूल खोल सकते हैं और नए भर्ती होनेवालों को स्वास्थ्य देखभाल प्रशिक्षण दे सकते हैं, या वे वापस अपने देश में स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा और छात्रवृत्ति कोष में भुगतान करने में मदद कर सकते हैं। इस तरह, युगांडा जैसे विकासशील देश न केवल अधिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को प्रशिक्षित किया कर सकेंगे, बल्कि उनके पास इतनी निधियाँ भी उपलब्ध होंगी कि वे कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए विदेशों में भेज सकेंगे।
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लेकिन विकासशील देशों को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। अस्सी प्रतिशत देश जिनमें कुशल स्वास्थ्य कर्मियों का घनत्व प्रति 10,000 व्यक्ति 22.8 से कम है, अफ्रीका में हैं, और अन्य 13% दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं। इस तरह की कमियों के प्रभाव हाल ही में पश्चिम अफ्रीका में आए ईबोला संकट के दौरान स्पष्ट हो गए थे।
समस्या यह है कि युगांडा और अन्य देशों में तथाकथित प्रतिभा पलायन स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की इस कमी का कारण नहीं है। यह उन स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का लक्षण मात्र है जो पहले से ही संकट में हैं। अंतिम समाधान पेशेवरों को विदेशों में काम करने से हतोत्साहित करना नहीं है; बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिलता है और काम करने की अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध होती हैं। इस तरीके से, हम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर हाथ में लिए गए काम, अपने लोगों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने, पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।